रुद्र चौधरी कार्नेगी इंडिया के डायरेक्टर हैं। उनका शोध दक्षिण एशिया के कूटनीतिक इतिहास, समसामयिक सुरक्षा मुद्दों, और कूटनीति और राजनय में उभरती प्रौद्योगिकियों की तेज़ी से बढ़ती महत्वपूर्ण भूमिका पर केंद्रित रहता है। वो सीमा-पार डेटा फ्लो के तुलनात्मक मॉडल पर काम करते हैं, साथ ही यह भी देखते हैं कि अलग-अलग देश आपसी और बहुपक्षीय वार्ताओं में डेटा को किस तरह से काम में लाते हैं।
रुद्र फोर्ज्ड इन क्राइसिस: इंडिया एंड दि यूनाइटेड स्टेट्स सिन्स 1947 नामक किताब के लेखक हैं जिसे 2013 में यूके में हर्स्ट ने प्रकाशित किया, और 2014 में अमेरिका में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस और दक्षिण एशिया में हार्पर कॉलिंस ने प्रकाशित किया। वो वॉर एंड पीस इन कन्टेंपररी इंडिया (यूके में रूटलेज द्वारा प्रकाशित) के संपादक हैं। उनके शोध इंटरनेशनल हिस्ट्री रिव्यू, डिप्लोमैसी एंड स्टेटक्राफ्ट, जर्नल ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज़, इंटरनेशनल अफेयर्स, आरयूएसआई जर्नल, इंडिया रिव्यू, डिफेंस स्टडीज़ जैसी शैक्षणिक पत्रिकाओं के साथ-साथ दूसरी अकादमिक और नीति-केंद्रित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। वो कभी-कभार मीडिया में सार्वजनिक नीति के मुद्दों पर टिप्पणी भी करते रहते हैं।
उन्होंने किंग्स कॉलेज लंदन में डिपार्टमेंट ऑफ वॉर स्टडीज़ में एक व्याख्याता और वरिष्ठ व्याख्याता के रूप में 2009 से 2022 (2018 से छुट्टी पर) काम किया है। 2012 में, उन्होंने किंग्स कॉलेज लंदन में यूके फॉरेन, कॉमनवेल्थ, एंड डेवलपमेंट ऑफिस (FCDO) की डिप्लोमैटिक एकेडमी शुरू की। उन्होंने इसके संस्थापक निदेशक के रूप में 2013 से 2022 तक काम किया। वो अशोका यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली में इंटरनेशनल रिलेशंस के विज़िटिंग प्रोफेसर भी हैं। वो इसके पहले यूके ज्वॉइंट सर्विसेज़ कमांड एंड स्टाफ कॉलेज में पढ़ाते थे। उन्होंने किंग्स कॉलेज लंदन से वॉर स्टडीज़ में पीएचडी की है।